Digital Arrest News: आजकल साइबर फ्रॉड के कई मामले सामने आ रहे हैं। हाल ही में बहरामपुर यूनिवर्सिटी की वाइस-चांसलर गीतांजलि दास एक बड़े ऑनलाइन ठगी के जाल में फंस गईं। स्कैमर्स ने खुद को प्रवर्तन निदेशालय (ED) का अधिकारी बताकर उनसे 14 लाख रुपये ठग लिए।
कैसे हुआ साइबर फ्रॉड? Digital Arrest News
12 फरवरी को स्कैमर्स ने गीतांजलि दास को कॉल किया और बताया कि उनके बैंक खाते से करोड़ों रुपये ट्रांसफर किए गए हैं। उन्हें धमकी दी गई कि उनके खिलाफ कार्रवाई होगी और पूछताछ करनी होगी। फिर स्कैमर्स ने उन्हें कहा कि वह डिजिटल अरेस्ट हो चुकी हैं, जिसका मतलब यह था कि वह कानूनी रूप से हिरासत में हैं।
इसके बाद उन्हें रिहा करने के नाम पर 14 लाख रुपये की मांग की गई। स्कैमर्स ने उन पर इतना दबाव डाला कि उन्हें मजबूरन पैसे ट्रांसफर करने पड़े। पैसे देने के बाद जब कुछ समय बीत गया और कोई जवाब नहीं मिला, तब गीतांजलि दास को शक हुआ कि उनके साथ धोखा हुआ है। उन्होंने तुरंत साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।
पुलिस की जांच
साइबर पुलिस ने 24 फरवरी को इस मामले में केस दर्ज कर लिया। बहरामपुर के एसपी श्रवण विवेक ने बताया कि पुलिस जांच कर रही है और जल्द ही स्कैमर्स को गिरफ्तार किया जाएगा।
कैसे स्कैमर्स ने वाइस-चांसलर को फंसाया?
गीतांजलि दास ने बताया कि स्कैमर्स बहुत चालाकी से बात कर रहे थे। कॉलर ने अंग्रेजी में बातचीत की, जिससे वह सच लगने लगा। उन्होंने पीड़िता के परिवार को भी इसमें शामिल कर लिया और कहा कि उनके खिलाफ गंभीर शिकायतें हैं। उन्हें अपने खाते में मौजूद सारे पैसे ऑडिट के लिए ट्रांसफर करने होंगे।
स्कैमर्स का भरोसा जीतने के लिए उन्होंने अगले दिन 80,000 रुपये वापस कर दिए और कहा कि बाकी पैसे भी धीरे-धीरे लौटा दिए जाएंगे। इससे वाइस-चांसलर को लगा कि यह प्रक्रिया सही है। लेकिन जब कॉलर्स ने जवाब देना बंद कर दिया, तब उन्हें समझ में आया कि यह एक बड़ा स्कैम था। इसके बाद उन्होंने पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई।
क्या है डिजिटल अरेस्ट स्कैम?
डिजिटल अरेस्ट स्कैम एक तरह का ऑनलाइन धोखाधड़ी है। इसमें स्कैमर्स खुद को ED, पुलिस, सीबीआई या इंटरपोल का अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं। वे पीड़ित को बताते हैं कि उनके नाम से मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग तस्करी या अन्य अवैध आर्थिक गतिविधियों में पैसा ट्रांसफर हुआ है।
फिर वे पीड़ित को धमकाते हैं कि अगर वह तुरंत पैसे नहीं देगा, तो उसे जेल जाना पड़ेगा। डर की वजह से लोग जल्दबाजी में पैसे ट्रांसफर कर देते हैं और बाद में समझते हैं कि उनके साथ धोखा हुआ है।
कैसे बचें इस तरह के साइबर फ्रॉड से?
अगर आपके पास भी इस तरह का कोई कॉल आता है तो घबराने की जरूरत नहीं है। कुछ सावधानियां बरतकर आप इस तरह की ठगी से बच सकते हैं:
- धमकी भरे कॉल से सावधान रहें – कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर धमकी नहीं देती। वे हमेशा नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाते हैं।
- अचानक आए कॉल पर विश्वास न करें – किसी अनजान नंबर से कॉल आए और वह खुद को अधिकारी बताए तो पहले ठंडे दिमाग से सोचें।
- किसी को अपने बैंक अकाउंट की जानकारी न दें – कोई भी सरकारी अधिकारी आपसे बैंक डिटेल्स नहीं मांगता।
- कॉल का तुरंत जवाब न दें – अगर कोई आपको दबाव में डाल रहा है, तो तुरंत जवाब देने की बजाय थोड़ा समय मांगें और पुलिस को सूचना दें।
- संदिग्ध कॉल की सूचना साइबर सेल को दें – अगर आपको कोई कॉल संदिग्ध लगे तो साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत करें।
निष्कर्ष
आज के डिजिटल युग में ऑनलाइन ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। स्कैमर्स नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को ठगने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए जरूरी है कि हम सतर्क रहें और बिना जांच-पड़ताल किए किसी भी अजनबी पर भरोसा न करें। अगर आपके पास भी इस तरह की कोई कॉल आती है, तो घबराने की बजाय सही कदम उठाएं और तुरंत पुलिस में शिकायत करें।
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