Jagannath Rath Yatra 2025: तिथि, समय, इतिहास और पर्व की पूरी जानकारी!

Jagannath Rath Yatra 2025: भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर पर्व और त्योहार के पीछे कोई न कोई धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व छुपा होता है। इन्हीं पावन पर्वों में से एक है जगन्नाथ रथ यात्रा, जिसे पूरी दुनिया में भगवान जगन्नाथ की भक्ति और भव्यता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

यह यात्रा ओडिशा राज्य के पुरी शहर में हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा को रथों में बैठाकर जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है।

Jagannath Rath Yatra 2025 की तिथि और समय:

वर्ष 2025 में जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन 27 जून, शुक्रवार को किया जाएगा। यह दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को आता है। यह समय चंद्र मास के उस चरण में आता है जब चंद्रमा की रोशनी धीरे-धीरे बढ़ती है और इसे अत्यंत शुभ माना जाता है।

  • द्वितीया तिथि का आरंभ: 26 जून 2025 को दोपहर 1:24 बजे
  • द्वितीया तिथि का समापन: 27 जून 2025 को प्रातः 11:19 बजे

नौ दिवसीय रथ यात्रा उत्सव 2025 की रूपरेखा:

आयोजनतिथि
अनवसरा13 जून – 26 जून 2025
गुंडिचा मार्जन26 जून 2025
रथ यात्रा27 जून 2025
हेरा पंचमी1 जुलाई 2025
बहुदा यात्रा4 जुलाई 2025
नीलाद्रि विजय5 जुलाई 2025

इस नौ दिवसीय पर्व का आरंभ रथ यात्रा से होता है और समापन नीलाद्रि विजय के साथ होता है।

रथ यात्रा का पौराणिक महत्व:

Jagannath Rath Yatra 2025 की शुरुआत का समय निश्चित रूप से नहीं बताया जा सकता, लेकिन यह माना जाता है कि इसका आरंभ 12वीं से 16वीं शताब्दी के बीच हुआ था। यह यात्रा भगवान श्रीकृष्ण के अपने ननिहाल (मामा के घर) की यात्रा का प्रतीक मानी जाती है। एक अन्य कथा के अनुसार राजा इंद्रद्युम्न ने भगवान जगन्नाथ की मूर्ति की स्थापना की थी और तभी से इस रथ यात्रा की परंपरा प्रारंभ हुई।

पुरी के गजपति राजाओं के शासनकाल में इस उत्सव को बहुत मान्यता मिली और आज यह पूरी दुनिया में भारत की आस्था और भक्ति का प्रतीक बन चुका है।

रथ यात्रा की विशेष परंपराएं और रस्में:

रथ स्नान (Snana Purnima):
रथ यात्रा से पहले भगवानों की मूर्तियों को 108 कलशों के पवित्र जल से स्नान कराया जाता है। इसके बाद उन्हें आम जनता के दर्शन से हटाया जाता है जिसे अनवसरा काल कहा जाता है।

गुंडिचा मार्जन:
रथ यात्रा के एक दिन पहले भगवान के दूसरे निवास स्थान गुंडिचा मंदिर की सफाई की जाती है। यह सफाई स्वयं भक्तों द्वारा की जाती है और इसे सेवा का महान कार्य माना जाता है।

रथ यात्रा (27 जून):
इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को उनके विशाल रथों में बैठाकर पुरी के मुख्य मंदिर से 3 किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है। लाखों भक्त इस यात्रा में भाग लेते हैं और भगवान के रथ को खींचने को पुण्य का कार्य मानते हैं।

हेरा पंचमी:
यह देवी लक्ष्मी और भगवान जगन्नाथ के बीच एक रोचक संवाद की रस्म होती है। देवी लक्ष्मी भगवान के बिना नाराज़ होकर गुंडिचा मंदिर जाती हैं और उन्हें वापस लाने का प्रयत्न करती हैं।

बहुदा यात्रा (4 जुलाई):
यह रथ यात्रा का वापसी चरण होता है जिसमें भगवान गुंडिचा मंदिर से वापस जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं।

नीलाद्रि विजय (5 जुलाई):
यह अंतिम दिन होता है जब भगवान वापस अपने मूल मंदिर में प्रवेश करते हैं और रथों को खोला जाता है। इससे अगले वर्ष की यात्रा की तैयारी शुरू हो जाती है।

रथों का निर्माण:

हर वर्ष तीन नए रथों का निर्माण किया जाता है, जो पूरी तरह से लकड़ी से बनाए जाते हैं और इसमें कोई धातु का प्रयोग नहीं होता। रथ निर्माण में पारंपरिक विधियों का उपयोग होता है।

भगवानरथ का नामऊँचाईपहियों की संख्या
जगन्नाथनंदीघोष45 फीट16
बलभद्रतालध्वज44 फीट14
सुभद्रादर्पदलन43 फीट12

ISKCON रथ यात्रा 2025:

भारत ही नहीं, विदेशों में भी रथ यात्रा का आयोजन बड़े धूमधाम से होता है। वर्ष 2025 में प्रयागराज में ISKCON द्वारा रथ यात्रा का आयोजन 29 जून 2025 (रविवार) को किया जाएगा। यह यात्रा हीरा हलवाई चौराहा से शुरू होकर के.पी. ग्राउंड पर समाप्त होगी। यह आयोजन भगवान कृष्ण की भक्ति को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करता है।

रथ यात्रा का सांस्कृतिक प्रभाव:

Jagannath Rath Yatra 2025 केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता, समरसता और सांस्कृतिक भव्यता का भी प्रतीक है। इसमें कोई भी व्यक्ति—चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, वर्ग या लिंग का हो—भगवान का रथ खींच सकता है। यह दर्शाता है कि भगवान सभी के हैं और उनके चरणों में सब समान हैं।

इस यात्रा के दौरान लाखों लोग पुरी पहुंचते हैं, और करोड़ों लोग टीवी, मोबाइल, यूट्यूब या सोशल मीडिया के माध्यम से इस पावन आयोजन को देखते हैं। यह भारत के धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा देता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देता है।

समापन:

Jagannath Rath Yatra 2025 एक ऐसा आयोजन है जो न केवल धार्मिक भावनाओं को गहराई से स्पर्श करता है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत को भी जीवंत करता है। यह यात्रा हर भक्त के लिए भगवान के साथ चलने का अवसर है, एक ऐसा क्षण जहाँ शरीर, मन और आत्मा सब भक्ति में लीन हो जाते हैं।

यदि आपने अभी तक Jagannath Rath Yatra 2025 का प्रत्यक्ष अनुभव नहीं किया है, तो वर्ष 2025 का यह अवसर आपके लिए विशेष हो सकता है। पुरी जाकर इस दिव्य आयोजन में शामिल होना न केवल आपकी आत्मा को शांति देगा बल्कि जीवन में आध्यात्मिक ऊर्जा का नया संचार भी करेगा।

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